मज़ा ही कुछ और है - ओम व्यास ओम

मज़ा ही कुछ और है – ओम व्यास ओम

There are so many small pleasures of life. They don’t cost any thing, yet the pleasure they give…. is out of this world…in words of Om Vyas Om. Rajiv Krishna Saxena

मज़ा ही कुछ और है

दांतों से नाखून काटने का
छोटों को जबरदस्ती डांटने का
पैसे वालों को गाली बकने का
मूंगफली के ठेले से मूंगफली चखने का
कुर्सी पे बैठ कर कान में पैन डालने का
और डीटीसी की बस की सीट में से स्पंज निकालने का
मज़ा ही कुछ और है

एक ही खूंटी पर ढेर सारे कपड़े टांगने का
नये साल पर दुकानदार से कलैंडर मांगने का
चलती ट्रेन पर चढ़ने का
दूसरे की चिट्ठी पढ़ने का
मांगे हुए स्कूटर को तेज भगाने का
और नींद न आने पर पत्नी को जगाने का
मज़ा ही कुछ और है

चोरी से फल फूल तोड़ने का
खराब ट्यूब लाइट और मटके फोड़ने का
पड़ोसिन को घूर घूर कर देखने का
अपना कचरा दूसरों के घर के सामने फेंकने का
बथरूम में बेसुरा गाने का
और थूक से टिकट चिपकाने का
मज़ा ही कुछ और है

आफिस से देर से आने का
फाइल को जबरदस्ती दबाने का
चाट वाले से फोकट में चटनी डलवाने का
बारात में प्रैस किये हुए कपड़ों को फिर से प्रैस करवाने का
ससुराल में साले से पान मंगवाने का
और साली की पीठ पर धौल जमाने का
मज़ा ही कुछ और है

पंगत में एक सब्जी के लिये दो दौने लगाने का
अपना सबसे फटा नोट आरती में चढ़ाने का
दूसरों के मोबाइल से चिपकने का
पान और गुटके को इधर उधर पिचकने का
कमजोर से बेमतलब लड़ने का
और पत्नी को रोज रोज परेशान करने का
मज़ा ही कुछ और है

~ ओम व्यास ओम

लिंक्स:

 

Check Also

Kabir ke dohe

कबीर के दोहे – कबीर

Kabir (1440AD to 1518AD) was one of the early saints of bhakti kaal who lived …

One comment

  1. Maja he much or h

Leave a Reply to Vivek nuwal Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *