ऐसा नियम न बाँधो - आनंद शर्मा

ऐसा नियम न बाँधो – आनंद शर्मा

There is no uniformity in nature. So is the life is not a monotone and has happiness and sorrows. Rajiv Krishna Saxena

ऐसा नियम न बाँधो

हर गायक का अपन स्वर है
हर स्वर की अपनी मादकता
ऐसा नियम न बाँधो
सारे गायक एक तरह से गाएँ।

कुछ नखशिख सागर भर देते
कुछ के निकट गगरियाँ प्यासी
कुछ दो बूँद बरस चुप होते
कुछ की हैं बरसातें दासी

हर बादल का अपना जल है
हर जल की अपनी चंचलताा
ऐसा नियम न बाँधो
सारे बादल एक तरह चुक जाएँ।

सुख जीवन में अतिथि मात्र है
इस घर का स्वामी तो दुख है
आँसू के सौ सौ परदों में
मुस्कानों का नन्हा मुख है।

तुम आए तो इससे बढ़कर
क्या घटना होगी जीवन में
इतना निकट न आओ पर
मन सुख का आदी हो जाए।

∼ आनंद शर्मा

लिंक्स:

Check Also

A house of glass ; A house of sand

शीशे का घर – श्रीकृष्ण तिवारी

Many apprehensions in life are conditional, depending upon some basic premise and notions. Once the …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *