इस तरह तो – बालस्वरूप राही

इस तरह तो – बालस्वरूप राही

Life is a pain. There are only few moments of happiness but pain retains the upper hand. Heart may be broken by deeds of those in whom we have utmost trust, and suddenly every thing looks useless. Yet, the law of nature says that bad times too do not last for ever. Pain teaches us so much about the facts of life. In this lovely poem Bal Swarup Rahi tells us how to get out of this pain. Rajiv Krishna Saxena

इस तरह तो

इस तरह तो दर्द घट सकता नहीं
इस तरह तो वक्त कट सकता नहीं
आस्तीनों से न आंसू पोंछिये
और ही तदबीर कोई सोचिये।

यह अकेलापन, अंधेरा, यह उदासी, यह घुटन
द्वार तो है बंद, भीतर किस तरह झांके किरण।

बंद दरवाजे ज़रा से खोलिये
रोशनी के साथ हंसिए बोलिये
मौन पीले–पात सा झर जाएगा
तो हृदय का घाव खुद भर जाएगा।

एक सीढ़ी हृदय में भी, महज़ घर में नही
सर्जना के दूध आते हैं सभी हो कर वहीं।

यह अहम की श्रृंखलाएं तोड़िये
और कुछ नाता गली से जोड़िये
जब सड़क का शोर भीतर आएगा
तब अकेलापन स्वयं मर जायगा।

आइये कुछ रोज कोलाहल भरा जीवन जियें
अँजुरी भर दूसरों के दर्द का अमृत पियें।

आइये बातून अफवाहें सुनें
फिर अनागत के नये सपने बुनें
यह सलेटी कोहरा छंट जाएगा
तो हृदय का दुख खुद घट जाएगा।

~ बालस्वरूप राही

लिंक्स:

 

Check Also

Kabir ke dohe

कबीर के दोहे – कबीर

Kabir (1440AD to 1518AD) was one of the early saints of bhakti kaal who lived …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *