Things are different than what you imagine
पिंजरे जैसी इस दुनिया में, पंछी जैसा ही रहना है, भर-पेट मिले दाना-पानी, लेकिन मन ही मन दहना है। जैसे तुम सोच रहे साथी वैसे आबाद नहीं है हम।

जैसे तुम सोच रहे साथी – विनोद श्रीवास्तव

Living life appears very stressful and distressful at times. However in perspective things are never so bad or good as they appear. Rajiv Krishna Saxena

जैसे तुम सोच रहे साथी

 

जैसे तुम सोच रहे
वैसे आज़ाद नहीं हैं हम।

पिंजरे जैसी इस दुनिया में
पंछी जैसा ही रहना है
भर-पेट मिले दाना-पानी
लेकिन मन ही मन दहना है।
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे आबाद नहीं है हम।

आगे बढ़ने की कोशिश में
रिश्ते-नाते सब छूट गए
तन को जितना गढ़ना चाहा
मन से उतना ही टूट गए।
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे संवाद नहीं हैं हम।

पलकों ने लौटाये सपने
आँखें बोली अब मत आना
आना ही तो सच में आना
आकर फिर लौट नहीं जाना।
जितना तुम सोच रहे साथी
उतना बरबाद नहीं हैं हम।

आओ भी साथ चलें हम-तुम
मिल-जुल कर ढूँढें राह नई
संघर्ष भरा पथ है तो क्या
है संग हमारे चाह नई।
जैसी तुम सोच रहे साथी
वैसी फरियाद नहीं हैं हम।

जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे आज़ाद नहीं हैं हम।

~ विनोद श्रीवास्तव

लिंक्स:

 

Check Also

दुनिया जिसे कहते हैं‚ जादू का खिलौना है- निदा फ़ाज़ली

Here is a lovely poem by Nida Fazali that makes so true comments on the …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *