Inkaar kar diya
मेरे पीछे इसीलिये तो धोकर हाथ पड़ी है दुनिया, मैंने किसी नुमाइश घर में सजने से इन्कार कर दिया

इंकार कर दिया – राम अवतार त्यागी

Some upright people refuse to compromise in life and suffer as a result. They however do not complain. Rajiv Krishna Saxena

इंकार कर दिया

मेरे पीछे इसीलिये तो धोकर हाथ पड़ी है दुनिया
मैंने किसी नुमाइश घर में सजने से इन्कार कर दिया।

विनती करती, हुक्म चलाती
रोती, फिर हँसती, फिर गाती;
दुनिया मुझ भोले को छलने,
क्या–क्या रूप बदल कर आती;

मंदिर ने बस इसीलिये तो मेरी पूजा ठुकरा दी है,
मैंने सिंहासन के हाथों पुजने से इन्कार कर दिया।

चाहा मन की बाल अभागिन,
पीड़ा के फेरे फिर जाएँ;
उठकर रोज़ सवेरे मैंने,
देखी हाथों की रेखाएँ;

जो भी दण्ड मिलेगा कम है, मैं उस मुरली का गुंजन हूँ,
जिसने जग के आदेशों पर बजने से इन्कार कर दिया।

 

मन का घाव हरा रखने को
अनचाहा हँसना पड़ता है;
दीपक की खातिर अँगारा,
अधरों में कसना पड़ता है;

आँखों को रोते रहने का खुद मैंने अधिकार दिया है,
सच को मैंने सुख की खातिर तजने से इन्कार कर दिया।

अर्पित हो जाने की तृष्णा,
जागी, मैं हो गया कलंकित;
कुण्ठा ने मेरी निन्दाएँ,
कर दी हर मन्दिर पर अँकित;

मैं वह सतवंती श्रद्धा के खण्डहर का बीमार दिया हूँ,
जिसने आँधी के चिढ़ने पर बुझने से इन्कार कर दिया।

∼ राम अवतार त्यागी

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