है तो है – दीप्ति मिश्र

Here is a devil-may-care attitude of a girl to falling in love with an inappropriate man. Rajiv Krishna Saxena

है तो है

वो नहीं मेरा मगर उससे मुहब्बत है तो है
ये अगर रस्मों रिवाजों से बगावत है तो है

सच को मैंने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया
गर ज़माने की नज़र में ये हिमाकत है तो है

कब कहा मैंने कि वो मिल जाए मुझको, मैं उसे,
ग़ैर ना हो जाए वो बस इतनी हसरत है तो है

जल गया परवाना तो शम्मा की इसमें क्या ख़ता
रात भर जलना–जलाना उसकी किस्मत है तो है

दोस्त बन कर दुश्मनों–सा वो सताता है मुझे
फिर भी उस ज़ालिम पे मरना अपनी फितरत है तो है

दूर थे और दूर हैं हरदम जमीनो–आसमाँ
दूरियों के बाद भी दोनों में कुर्बत है तो है

~ दीप्ति मिश्र

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2 comments

  1. Nice one…

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