I just landed at your door
मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार पथ ही मुड़ गया था। गति मिली मैं चल पड़ा, पथ पर कहीं रुकना मना था, राह अनदेखी, अजाना देश, संगी अनसुना था।

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Events unfold in life in ways that are some times beyond our comprehension and control. It appears that fate takes us wherever it wants. Here is a lovely poem by Shivmangal Singh Suman – Rajiv Krishna Saxena

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार
पथ ही मुड़ गया था।

गति मिली मैं चल पड़ा
पथ पर कहीं रुकना मना था,
राह अनदेखी, अजाना देश
संगी अनसुना था।

चांद सूरज की तरह चलता
न जाना रात दिन है,
किस तरह हम तुम गए मिल
आज भी कहना कठिन है,
तन न आया मांगने अभिसार
मन ही जुड़ गया था।

देख मेरे पंख चल, गतिमय
लता भी लहलहाई
पत्र आँचल में छिपाए मुख
कली भी मुस्कुराई।

एक क्षण को थम गए डैने
समझ विश्राम का पल,
पर प्रबल संघर्ष बनकर
आ गई आंधी सदलबल।

डाल झूमी, पर न टूटी
किंतु पंछी उड़ गया था।

∼ शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

लिंक्स:

 

Check Also

My introduction: Atal Bihari Vajpayee

मेरा परिचय – अटल बिहारी वाजपेई

Atal Ji’s famous  poem on his birthday!  Hindu thought and philosophy evolved over the Indian …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *