Love has gone from my life, dry sand like body remains
मैं अलक्षित हूं‚ यही कवि कह गया है। स्नेह निर्झर बह गया है‚ रेत सा तन रह गया है।

स्नेह निर्झर बह गया है – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Love is the essence. As retreating water leaves the sand dry, so does lost love leave a person drained, and lifeless. Here is a beautiful expression by Nirala – Rajiv Krishna Saxena

स्नेह निर्झर बह गया है

स्नेह निर्झर बह गया है,
रेत सा तन रह गया है।

आग की यह डाल जो सूखी दिखी‚
कह रही है – अब यहां पिक या शिखी‚
नहीं आते पंक्ति मैं वह हूं लिखी‚
नहीं जिसका अर्थ–
जीवन दह गया है।

दिये हैं मैंने जगत को फूल–फल‚
किया है अपनी प्रभा से चकित चल‚
पर अनश्वर था सकल पल्लवित पल‚
ठाट जीवन का वही–
जो ढह गया है।

अब नही आती पुलिन पर प्रियतमा‚
श्याम तृण पर बैठने को निरुपमा‚
बह रही है हृदय पर केवल अमा
मैं अलक्षित हूं‚ यही
कवि कह गया है।

स्नेह निर्झर बह गया है‚
रेत सा तन रह गया है।

∼ सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

लिंक्स:

 

Check Also

We watch the river and wonder what will be there on the other side!

उस पार न जाने क्या होगा – हरिवंश राय बच्चन

This is a very famous poem of Harivansh Rai Bachchan. We know nothing about where …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *