कौन तुम मेरे हृदय में? - महादेवी वर्मा

कौन तुम मेरे हृदय में? – महादेवी वर्मा

Here is excerpt from a famous poem of Mahadevi Verma. Love takes root in the heart and suddenly the world looks so different! Rajiv Krishna Saxena

कौन तुम मेरे हृदय में

कौन मेरी कसक में नित
मधुरता भरता अलक्षित?
कौन प्यासे लोचनों में
घुमड़ घिर झरता अपरिचित?

स्वर्ण सपनों का चितेरा
नींद के सूने निलय में!
कौन तुम मेरे हृदय में?

अनुसरण निःश्वास मेरे
कर रहे किसका निरंतर?
चूमने पदचिन्ह किसके
लौटते यह श्वास फिर फिर?

कौन बन्दी कर मुझे अब
बँध गया अपनी विजय में
कौन तुम मेरे हृदय में?

गूँजता उर में न जाने
दूर के संगीत सा क्या!
आज खो निज को मुझे
खोया मिला विपरीत सा क्या!

क्या नहा आयी विरह–निशी
मिलन–मधु–दिन के उदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?

∼ महादेवी वर्मा

लिंक्स:

 

Check Also

Lajili Raat Ayi hai

लजीली रात आई है – चिरंजीत

Most of our lives are hum-drum. There are few moments of elation and stretches of …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *