झुक नहीं सकते - अटलबिहारी वाजपेयी

झुक नहीं सकते – अटलबिहारी वाजपेयी

Here is another poem of Shri Atal Bihari Vajpayee Ji. It appears to have been written during the period of emergency imposed by Mrs. Indira Gandhi. It conveys a resolve to keep on the struggle. Rajiv Krishna Saxena

झुक नहीं सकते

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते
सत्य का संघर्ष सत्ता से
न्याय लड़ता निरंकुशता से
अँधेरे ने दी चुनौती है
किरण अंतिम अस्त होती है

दीप निष्ठा का लिये निष्कम्प
वज्र टूटे या उठे भूकम्प
यह बराबर का नहीं है युद्ध
हम निहत्थे, शत्रु हे सन्नद्ध
हर तरह के शस्त्र से है सज्ज
और पशुबल हो उठा निर्लज्ज।

किन्तु फिर भी जूझने का प्रण
पुनः अंगद ने बढ़ाया चरण
प्राण–पण से करेंगे प्रतिकार
समर्पण की माँग अस्वीकार।

दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

~ अटलबिहारी वाजपेयी

लिंक्स:

Check Also

सखी वे मुझ से कह कर जाते – मैथिली शरण गुप्त

The relationship between a husband and wife is based on total faith. A girl leaves …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *