उठो स्वदेश के लिये - क्षेमचंद सुमन

उठो स्वदेश के लिये – क्षेमचंद सुमन

Here is a great poem from which inspiration may be derived. Auther is the well-known poet Kshem Chand Suman. Rajiv Krishna Saxena

उठो स्वदेश के लिये

उठो स्वदेश के लिये बने कराल काल तुम
उठो स्वदेश के लिये बने विशाल ढाल तुम

उठो हिमाद्रि श्रंग से तुम्हे प्रजा पुकारती
उठो प्रशांत पंथ पर बढ़ो सुबुद्ध भारती

जागो विराट देश के तरुण तुम्हें निहारते
जागो अचल, मचल, विफल, अरुण तुम्हें निहारते

बढ़ो नयी जवानियाँ सजीं कि शीश झुक गए
बढ़ो मिली कहानियाँ कि प्रेम गीत रुक गए

चलो कि आज स्वत्व का समर तुम्हें पुकारता
चलो कि देश का सुमन–सुमन तुम्हें निहारता

उठो स्वदेश के लिये, बने कराल काल तुम
उठो स्वदेश के लिये, बने विशाल ढाल तुम

~ क्षेमचंद सुमन

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One comment

  1. Prince Viraj Sharma

    Nice poem

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