Tag Archives: Thehr jao

ठहर जाओ – रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

ठहर जाओ – रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

How the sight of the lover lights up one’s heart! Hera is a lovely poem by Rameshwer Shukla Anchal. Rajiv Krishna Saxena ठहर जाओ ठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें। अभी कुछ देर मेरे कान में गूंजे तुम्हारा स्वर बहे प्रतिरोग में मेरे सरस उल्लास का निर्झर, बुझे …

Read More »