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मैं फिर अकेला रह गया – दिनेश सिंह

Lonely again !

Someone leaves and someone is left behind lonely and crushed. Here is a lovely poem by Dinesh Singh. Rajiv Krishna Saxena मैं फिर अकेला रह गया   बीते दिसंबर तुम गए लेकर बरस के दिन नए पीछे पुराने साल का जर्जर किला था ढह गया मैं फिर अकेला रह गया …

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