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गाल पे काटा – ज़िया उल हक़ कासिमी

Here is a funny poem. Enjoy! Rajiv Krishna Saxena गाल पे काटा माशूक जो ठिगना है तो आशिक भी है नाटा इसका कोई नुकसान, न उसको कोई घाटा। तेरी तो नवाज़िश है कि तू आ गया लेकिन ऐ दोस्त मेरे घर में न चावल है न आटा। तुमने तो कहा …

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