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जहाँ मैं हूँ – बुद्धिसेन शर्मा

जहाँ मैं हूँ - बुद्धिसेन शर्मा

Society is changing and restlessness is increasing. We have to somehow cope with the change. Rajiv Krishna Saxena जहाँ मैं हूँ अजब दहशत में है डूबा हुआ मंजर, जहाँ मैं हूँ धमाके गूंजने लगते हैं, रह-रहकर, जहाँ मैं हूँ कोई चीखे तो जैसे और बढ़ जाता है सन्नाटा सभी के …

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