Here is a lovely poem of Dr. Dharamvir Bharati. Rajiv Krishna Saxena नवंबर की दोपहर अपने हलके–फुलके उड़ते स्पर्शों से मुझको छू जाती है जार्जेट के पीले पल्ले सी यह दोपहर नवंबर की। आयीं गयीं ऋतुएँ‚ पर वर्षों से ऐसी दोपहर नहीं आयी जो क्ंवारेपन के कच्चे छल्ले–सी इस मन …
Read More »तुम्हारे पाँव मेरी गोद में – धर्मवीर भारती
Imagine two lovers sitting quietly. A girl’s lovely feet are in the lap of the lover. Then let Bharati Ji recite the rest-Rajiv Krishna Saxena तुम्हारे पाँव मेरी गोद में ये शरद के चाँद से उजले धुले–से पांव, मेरी गोद में। ये लहर पर नाचते ताजे कमल की छांव, मेरी …
Read More »ठंडा लोहा – धर्मवीर भारती
ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! मेरी दुखती हुई रगों पर ठंडा लोहा! मेरी स्वप्न भरी पलकों पर मेरे गीत भरे होठों पर मेरी दर्द भरी आत्मा पर स्वप्न नहीं अब गीत नहीं अब दर्द नहीं अब एक पर्त ठंडे लोहे की मैं जम कर लोहा बन जाऊँ– …
Read More »अंधा युग (शाप पाने से प्रभु मृत्यु तक) – धर्मवीर भारती
The great war of Mahabharata left a permanent scar on the Indian psyche. The politics, the moral and ethical issues, the sheer magnitude of human suffering and loss of millions of lives, all this; the event was unparalleled in human history. But what happened after the war? Life simply could …
Read More »दीदी के धूल भरे पाँव – धर्मवीर भारती
A lovely poem of Dr. Draramvir Bharti depicting the nostalgia associated with village home that was left long ago. Rajiv Krishna Saxena दीदी के धूल भरे पाँव दीदी के धूल भरे पाँव बरसों के बाद आज फिर यह मन लौटा है क्यों अपने गाँव; अगहन की कोहरीली भोर: हाय कहीं …
Read More »तुम कितनी सुंदर लगती हो: धर्मवीर भारती
तुम कितनी सुंदर लगती हो तुम कितनी सुंदर लगती हो जब तुम हो जाती हो उदास! ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खंडहर के आसपास मदभरी चांदनी जगती हो! मुख पर ढंक लेती हो आंचल ज्यों डूब रहे रवि पर बादल‚ या दिनभर उड़ कर थकी किरन‚ सो जाती हो …
Read More »अंधा युग (गांधारी का शाप और प्रभु श्री कृष्ण का शाप को स्वीकारना) – धर्मवीर भारती
The great war of Mahabharata left a permanent scar on the Indian psyche. The politics, the moral and ethical issues, the sheer magnitude of human suffering and loss of millions of lives, all this; the event was unparalleled in human history. But what happened after the war? Life simply could …
Read More »यादें भईया (डॉ धर्मवीर भारती ) की – डॉ वीरबाला (बहन)
Dr. Dharamveer Bharati (borm 25 Dec 2025) and Dr Veerbala (born 13 Oct 1930) were brother and sister, born in Allahbad (now Pryagraj). Their early years and education were in Allahabad too. Dr. Bharati did PhD in Hindi and started to teach in the Allahabad University. Dr. Veerbala maried Dr. …
Read More »मामा जी (डॉ धर्मवीर भारती): कुछ संस्मरण – राजीव कृष्ण सक्सेना
मामा जी (डॉ धर्मवीर भारती): कुछ संस्मरण बचपन की हम बच्चों की मामा जी डॉ धर्मवीर भारती की यादें बड़ी लुभावनी हैं । अम्मा के साथ हम तीनों भाई गर्मियों की छुट्टियों में अक्सर इलाहबाद (अब प्रयागराज) चले जाते थे । पिता जी डॉक्टर थे और उनका अपने मरीज़ों को …
Read More »फूल, मोमबत्तियां, सपने: धर्मवीर भारती
फूल, मोमबत्तियां, सपने यह फूल, मोमबत्तियां और टूटे सपने ये पागल क्षण यह काम–काज दफ्तर फाइल, उचटा सा जी भत्ता वेतन, ये सब सच है! इनमें से रत्ती भर न किसी से कोई कम, अंधी गलियों में पथभृष्टों के गलत कदम या चंदा की छाय में भर भर आने वाली …
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Geeta-Kavita Collection of Hindi poems & articles
