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आज मानव का सुनहला प्रात है – भगवती चरण वर्मा

When lovers meet there is magic in atmosphere. Here is a poem by Bhagwati Charan Varma that describes the feelings. Rajiv Krishna Saxena आज मानव का सुनहला प्रात है आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है आज अलसित और मादकता भरे सुखद सपनों से शिथिल …

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