हाथी दादा - रामानुज त्रिपाठी

हाथी दादा – रामानुज त्रिपाठी

Here is a nice little poem for children written by Ramanuj Tripathi. I have done the illustration myself. Rajiv Krishna Saxena

हाथी दादा

सूट पहन कर हाथी दादा
चौराहे पर आए,
रिक्शा एक इशारा कर के
वे तुरंत रुकवाए।

चला रही थी हाँफ–हाँफ कर
रिक्शा एक गिलहरी
बोले हाथी दादा मैडम
ले चल मुझे कचहरी।

तब तरेर कर आँखें वह
हाथी दादा से बोली,
लाज नहीं आती है तुमको
करते हुए ठिठोली।

अपना रिक्शा करूँ कबाड़ा
तुमको यदि बैठा लूँ
जान बूच कर क्यों साहब
मैं व्यर्थ मुसीबत पालूँ?

माफ करो गुस्ताखी मिस्टर
कोई ट्रक रुकवाओ
तब तुम उस पर बड़े ठाठ से
बैठ कचहरी जाओ।

~ रामानुज त्रिपाठी

लिंक्स:

 

Check Also

बाल गीता भगवान कृष्ण का विश्वरूप

बाल गीता – भाग ६ भगवान कृष्ण का विश्वरूप (Cartoon Animation) राजीव कृष्ण सक्सेना

बाल गीता भाग-६ (भगवान कृष्ण का विश्वरूप) बाल गीता, भाग-६, (cartoon animation) has been published …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *