Bharat Vishwa Guru
मैं भारत गुण–गौरव गाता, श्रद्धा से उसके कण–कण को, उन्नत माथ नवाता।

भारत गुण–गौरव – शमशेर बहादुर सिंह

Here is an old poem of Shamsher Bahadur Singh, in praise of ancient motherland India. Rajiv Krishna Saxena

भारत गुण–गौरव

 

मैं भारत गुण–गौरव गाता,
श्रद्धा से उसके कण–कण को,
उन्नत माथ नवाता।

प्र्रथम स्वप्न–सा आदि पुरातन,
नव आशाओं से नवीनतम,
चिर अजेय बलदाता।

आर्य शौर्य धृति, बौद्ध शांति द्युति,
यवन कला स्मिति, प्राच्य कार्म रति,
अमर, अभय प्रतिभायुत भारत
चिर रहस्य, चिर ज्ञाता।

वह भविष्य का प्रेम–सूत है,
इतिहासों का मर्म पूत है,
अखिल राष्ट्र का श्रम, संचय, तपः
कर्मजयी, युग त्राता

मैं भारत गुण–गौरव गाता।

शमशेर बहादुर सिंह

लिंक्स:

 

Check Also

बाल गीता भगवान कृष्ण का विश्वरूप

बाल गीता – भाग ६ भगवान कृष्ण का विश्वरूप (Cartoon Animation) राजीव कृष्ण सक्सेना

बाल गीता भाग-६ (भगवान कृष्ण का विश्वरूप) बाल गीता, भाग-६, (cartoon animation) has been published …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *