याचना – रघुवीर सहाय

याचना – रघुवीर सहाय

Love defies all boundaries of rationalities and logic. Rollercoaster of emotions take the lovers to uncharted highest and lows… Here is a nice poem of Raghuvir Sahai – Rajiv Krishna Saxena

याचना

युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले‚
मुक्ति के कारण नियम सब छोड़ डाले‚
अब तुम्हारे बंधनों की कामना है।

विरह यामिनि में न पल भर नींद आयी‚
क्यों मिलन के प्रात वह नैनों समायी‚
एक क्षण में ही तो मिलन में जागना है।

यह अभागा प्यार ही यदि है भुलाना‚
तो विरह के वे कठिन क्षण भूल जाना‚
हाय जिनका भूलना मुझको मना है।

मुक्त हो उच्छ्वास अंबर मापता है‚
तारकों के पास जा कुछ कांपता है‚
श्वास के हर कम्प में कुछ याचना है।

∼ रघुवीर सहाय

लिंक्स:

 

Check Also

You say some thing, I say some thing

कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो – रमानाथ अवस्थी

Life is to be shared. It becomes very boring if it is not. Our daily …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *