विश्व–सुंदरी – गोपाल सिंह नेपाली
Introduction: See more
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप
कुंतल में बांधे श्याम घटा
नयनों में नभ की नील छटा
अधरों पर बालारुण रंजन
मृदु आनन में शशी–नीराजन
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप
भौंहों में साधे क्षितिज–रेख
तुम अपनी रचना रहीं देख
हाथों में विश्व–कमल सुन्दर
मधु–मधुर कंठ में कोकिल–स्वर
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप
सुन्दरी तुम्हारे कुसुम बाण
उड़ चले चूमने प्राण–प्राण
दिशिदिशि से जयजयकार उठा
जग का सितार झंकार उठा
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप
तुम गौरवर्ण, पट पीत–श्याम
शोभा सुषमा नयनाभिराम
पूर्णिमा तुम्हारे हँसने में
ऋतुराज तुम्हारे बसने में
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप
चल रहा तुम्हारा नर्तन–क्रम
पग चूम रहे हैं बल–विक्रम
तारे असंख्य जुगनू अनेक
उर्वशी विश्व–सुंदरी एक
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप
~ गोपाल सिंह नेपाली
3,584 total views, 2 views today