धन्यवाद – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

धन्यवाद – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Here is a moving poem by Shivmangal Singh Suman Ji. Towards the end of the great journey of life, this poem is an expression of gratitude, to all those who provided affection, comforts and companionship. And even those who gave sorrows – Rajiv Krishna Saxena

धन्यवाद

जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही का धन्यवाद।

जीवन अस्थिर अनजाने ही
हो जाता पथ पर मेल कहीं
सीमित पग­डग, लम्बी मंजिल
तय कर लेना कुछ खेल नहीं

दाएं­ बाएं सुख दुख चलते
सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही का धन्यवाद।

सांसों पर अवलंबित काया
जब चलते­ चलते चूर हुई
दो स्नेह­ शब्द मिल गये, मिली
नव स्फूर्ति थकावट दूर हुई

पथ के पहचाने छूट गये
पर साथ­साथ चल रही याद
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही का धन्यवाद।

जो साथ न मेरा दे पाए
उनसे कब सूनी हुई डगर
मैं भी न चलूं यदि तो भी क्या
राही मर लेकिन राह अमर

इस पथ पर वे ही चलते हैं
जो चलने का पा गए स्वाद
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही का धन्यवाद।

कैसे चल पाता यदि न मिला
होता मुझको आकुल ­अंतर
कैसे चल पाता यदि मिलते
चिर तृप्ति अमरता पूर्ण प्रहर

आभारी हूं मैं उन सबका
दे गए व्यथा का जो प्रसाद
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही का धन्यवाद।

∼ शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

लिंक्स:

 

 

Check Also

Bride leaving after the marriage ceremony. Vidaai

विदा की घड़ी है – राजनारायण बिसरिया

A village bride is ready to leave parent’s home. A very poignant movement… Rajnarain Bisaria …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *