बरसाने लाल चतुर्वेदी के तुक्तक

We have already presented tuktaks from Bharat Bhushan Aggarwal on this website. Here are some tuktaks of the well-known poet Dr. Barsane Lal Chaturvedi. Tuktak was a style popular in 1960s but is hardly seen these days. Rajiv Krishna Saxena

बरसाने लाल चतुर्वेदी के तुक्तक

रेडियो पर काम करते मोहनलाल काले
साप्ताहिक संपादक उनके थे साले
काले के लेख छपते
साले के गीत गबते
दोनों की तिजोरियों में अलीगढ़ के ताले

भाषण देने खड़े हुए मटरूमल लाला
दिमाग़ पर न जाने क्यों पड़ गया था ताला
घर से याद करके
स्पीच ख़ूब रटके
लेकिन आके मंच पर जपने लगे माला

साले की शादी में गए कलकत्ता
पाँच सौ रुपये का बना लिया भत्ता
कैसे मेरे पिया
जनसंपर्क किया
कुछ भी करो राज तुम्हारी है सत्ता

मिस लोहानी बहुत करती थीं मेकअप
दूसरे के घर चाय पीती थीं तीन कप
उधार की रसम
देने की कसम
बहुत कोई माँगता तो कह देती ‘शट–अप’

बेकार है दूध ‘वर्थलैस’ है घी
हॉट और कोल्ड ड्रिंक जी भर के पी
डाइटिंग कर
हो पतली कमर
चाँटा मारे कोई तो कर ही ही ही

~ डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी

लिंक्स:

 

Check Also

First futile attemp at finding love!

पहली कोशिश – राज नारायण बिसारिया

This poem belongs to an era of 1950s. Boys and girls did not meet freely …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *