कब बरसेगा पानी - बेकल उत्साही

कब बरसेगा पानी – बेकल उत्साही

With the start of hot summer, we all wait for rains. If rains get delayed or fail, life suffers badly; especially so in villages. Here is an excerpt from a lovely poem by Bekal Utsahi, wondering when would it rain. Rajiv Krishna Saxena

कब बरसेगा पानी

सावन भादौं साधु हो गए, बादल सब संन्यासी
पछुआ चूस गई पुरवा को, धरती रह गई प्यासी
फसलों ने वैराग ले लिया, जोगी हो गई धानी
राम जाने कब बरसेगा पानी

ताल तलैया माटी चाटै, नदियाँ रेत चबाएँ
कुएँ में मकड़ी जाला ताने, नहरें चील उड़ाएँ
उबटन से गगरी रूठी है, पनघट से बहुरानी
राम जाने कब बरसेगा पानी

छप्पर पर दुपहरिया बैठी, धूप टँगी अँगनाई
द्वार का बरगद ठूँठ हो गया, उजड़ गई अमराई
चौपालों से खलिहानों, तक सूरज की मनमानी
राम जाने कब बरसेगा पानी

पिघल गया चेहरों का सोना, उतर गई महताबी
गोरी बाँहें हुईं साँवरी, बुझ गए नयन गुलाबी
सपने झुलस गए राधा के, श्याम हुए सैलानी
राम जाने कब बरसेगा पानी

बाज़ारों में मँहगाई की बिखर गई तस्वीरें
हमदर्दों के पाँव पड़ गई वादों की जंजीरें
सँसद की कुरसी में धँस गई खेती और किसानी
राम जाने कब बरसेगा पानी

~ बेकल उत्साही

लिंक्स:

 

Check Also

Things we are losing in Indian society

ढूंढते रह जाओगे – अरुण जैमिनी

Times are changing fast. So many things we witnessed in our childhood appear to have …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *