एक भी आँसू न कर बेकार – राम अवतार त्यागी

एक भी आँसू न कर बेकार – राम अवतार त्यागी

Here is a famous poem by Ram Avtaar Tyagi. One has to strive constantly because the moment of success can come just at any time. I especially like the last stanza “our own two feet take us to our destination, there is no use unnecessarily pleading with the path”. Rajiv Krishna Saxena.

एक भी आँसू न कर बेकार

एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ जाए!

पास प्यासे के कुआँ आता नहीं है
यह कहावत है‚ अमरवाणी नहीं है
और जिस के पास देने को न कुछ भी
एक भी ऐसा यहाँ प्राणी नहीं है

कर स्वयं हर गीत का श्रंगार
जाने देवता को कौन सा भा जाय!

चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ दर्पण
किंतु आकृतियाँ कभी टूटी नहीं हैं
आदमी से रूठ जाता है सभी कुछ
पर समस्यायें कभी रूठी नहीं हैं

हर छलकते अश्रु को कर प्यार
जाने आत्मा को कौन नहला जाय!

व्यर्थ है करना खुशामद रास्तों की
काम अपने पाँव ही आते सफर में
वह न ईश्वर के उठाए भी उठेगा
जो स्वयं गिर जाए अपनी ही नज़र में

हर लहर का कर प्रणय स्वीकार
जाने कौन तट के पास पहुँचा जाय!

∼ राम अवतार त्यागी

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