अच्छा तो हम चलते हैं – आनंद बक्षी

 Here is a tribute to  Rajesh Khanna  and Anand Bakshi .   Rajiv Krishna Saxena

अच्छा तो हम चलते हैं

अच्छा तो हम चलते हैं
फिर कब मिलोगे?
जब तुम कहोगे
जुम्मे रात को
हाँ हाँ आधी रात को
कहाँ?
वहीं जहाँ कोई आता-जाता नहीं
अच्छा तो हम चलते हैं…

किसी ने देखा तो नहीं तुम्हें आते
नहीं मैं आयी हूँ छुपके छुपाके
देर कर दी बड़ी, ज़रा देखो तो घड़ी
उफ़्फ़ ओ, मेरी तो घड़ी बन्द है
तेरी ये अदा मुझे पसन्द है
देखो बाते-वातें कर लो जल्दी जल्दी
फिर न कहना अभी आयी, अभी चल दी
तो आओ पास बैठें पल दो पल
आज नहीं कल
ये तो इक बहाना है
वापस घर भी जाना है
कितनी जल्दी ये दिन ढलते हैं
हाय! टाटा

अच्छा तो हम चलते हैं
फिर कब मिलोगे
जब तुम कहोगे
कल मिलो या परसों
परसों नहीं, नरसों
कहाँ?
यहीं यहाँ कोई आता जाता नहीं
अच्छा तो हम चलते हैं…

उड़ा है किस लिये तेरा रंग गोरी
हमारी पकड़ी गयी है बस चोरी
अच्छा?
राम जाने क्या हो अब
कैसे हुआ ये ग़ज़ब
मेरा आँचल जो ज़रा ढल गया
सारी दुनिया को पता चल गया
कैसे खेलेंगे अब आँख मिचोली
लेजा आके मेरे घर से मेरी डोली
तेरे घर वाले न कर दे इनकार
सब हैं तैयार, सब हैं तैयार
सुन ले फिर दिल की फ़रियाद
बस बाक़ी शादी के बाद
पिया देखो, दीये जलते हैं
अच्छा तो हम…

∼ आनंद बक्षी

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