आरम्भ है प्रचंड – पीयूष मिश्रा

The other day when Anna Hazare announced a new turn in their struggle against corruption, a TV channel was playing the following song from film ‘Gulaal’ in the background. The song by Piyush Mishra really impressed me due to sheer sense of rhythm, beat and rousing quality. The poem reminded me of the poem Haldighati by Shyam Narayan Pandey. Lovely! Rajiv Krishna Saxena

आरम्भ है प्रचंड

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,
आन बान शान
या कि जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो।
आरम्भ है प्रचंड…

मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है,
कृष्ण की पुकार है
ये भागवत का सार है
कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है,
कौरवों की भीड़ हो
या पांडवों का नीड़ हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान है।

जीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या जिन्दगी है ठोकरों पे मार दो,
मौत अंत है नहीं
तो मौत से भी क्यों डरें
ये जा के आसमान में दहाड़ दो।
आरम्भ है प्रचंड…

वो दया का भाव
या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव, तुम ये सोच लो,
या कि पूरे भाल पे
जला रहे विजय का लाल
लाल यह गुलाल, तुम ये सोच लो,
रंग केसरी हो
या मृदंग केसरी हो
या कि केसरी हो ताल, तुम ये सोच लो।

जिस कवि की कल्पना में
जिंदगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो,
भीगती मसों में आज
फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो।

— पीयूष मिश्रा

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3 comments

    • Prachand hai kavi vilas
      prachand hai Geeta naad
      Prachand hai Nabhvihag
      Prachand hai Him achal
      Prachand hai Sagar athah
      Ptachand hai Bharatveer
      Prachand Akhand Trihand me ho
      Bharat Vishal..Bharat Vishal

  1. Very nice brother

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