बाल गीता

Baal Geeta:

Baal Geeta was published in the year 2012 by Penguin Books. The purpose of this book is to convey to children and those who are attempting for the first time to get a sense of the message of Bhagwat Geeta. The book is illustrated and comprises a long poem in simple words (about 200 verses in Hindi) in a very easy meter that allows children to recite the verses and memorize the verses by heart. Idea is to seed the message of Geeta he young minds of children.

How to order the book:

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बाल गीता:

कुछ वर्ष पहले मझे अंतःप्रेरणा हुई कि श्रीमद् भगवद गीता का मात्राबद्ध हिंदी पद्यानुवाद किया जाए। यह कार्य संपन्न हुआ और “गीता काव्य माधुरी” के शीर्षक से यह पुस्तक बहुत लोकप्रिय भी हुई। इस पुस्तक में गीता के सभी सात सौ श्लोकों का पद्यानुवाद प्रस्तुत किया गया था। मूल विचार यह था कि गीता काव्य माधुरी के माध्यम से संस्कृत न जानने वाले हिंदी के पाठकों को हिंदी में ही गीता पढ़ने का सुअवसर प्राप्त होगा। यद्यपि इस अनुवाद की हिंदी सरल है फिर भी मुझे लगा कि पहली बार गीता पढ़ने वाले किसी भी आकांक्षी के लिये गीता को समझ पाना सरल कार्य नहीं है। इस महान ग्रंथ में बहुत से नवीन विचार एवं सिद्धांत  ऐसे हैं जिन्हें समझने में समय लगता है। कई पाठकों ने मुझे यह भी कहा कि गीता का सार अगर सरल कविता के रूप में उपलब्ध हो तो बच्चों, किशोरों एवं नवयुवकों को इससे गीता को समझने में बहत आसानी होगी। गीता काव्य माधुरी अमरीकी प्रवास के दौरान लिखी गई थी। कुछ वर्षों पश्चात मुझे पुनः एक लंबे अमरीकी प्रवास का मौका मिला और वैज्ञानिक शोध कार्य के साथ साथ बाल गीता की रूप रेखा बननी प्रारंभ हो गई। मेरा प्रयत्न यह था कि  बाल गीता में महाभारत का संदर्भ एवं कथांश यथावत रखा जाये जिससे बच्चों का ध्यान और रुचि  इसे पढ़ने में बनी रहे। इसके साथ साथ गीता को मूल सिद्धांत सरल रूप में रखे जाएं जिससे न केवल इनकी नीव बाल मानस में पडे. पर बाद में पूरी गीता पढ़ने की लालसा भी उन में घर कर जाए। बाल गीता के छंद का ठीक चुनाव बहुत आवश्यक था क्योंकि छंद सरल होने से बच्चों को एकदम कंठस्थ हो जाता है। आशा यही है कि बाल गीता के छंद बच्चों को भाएंगे और इनका लाभ उन्हें जीवन पर्यांत मिलता रहेगा। गीता रीति रिवाजों और कर्मकाण्ड से उठ कर एक ऐसा धर्मनिर्पेक्ष एवं दार्शनिक ग्रंथ है जिसकी आत्मा भारत की आध्यत्मिक भूमि में रची बसी है। संस्कृत में होने के कारण जनसाधारण को यह ग्रंथ सुलभ नहीं है। बाल गीता इस दार्शनिक धरोहर का सर्वसाधारण के जनमानस में, विशेषतः युवा वर्ग के जन मानस में विस्तार का कारण बनेगी, ऐसी आशा मैं करता हूं। बाल गीत बच्चों में लोकप्रिय हो रही है । इसका मंचन विद्यालयों में होता रहता है। मंचन की एक झलक देखिए:

तीसरी कक्षा के छात्रों द्वारा बाल गीता का वाचन

 

 

 

 

 

 

 

 

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